दोस्तों, विधाता का लिखा तो विधाता ही समझता है, जो होना है वो हो के रहता है। जो गुजर जाता है आलम वो फिर लौट के नहीं आता है I माज़ी को भुला कर जिंदगी को हर पल जीना ही जिंदादिली है I उम्र और वक़्त की रफ़्तार नहीं थमती I धीरे धीरे वक़्त हाथों से निकल जाता है और हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते I खुदा से यही दुआ है कि…कल जो गुजरा वो फिर कल ना गुजरे आने वाला वो कल ऐसा हो न
जो गुजर गया उस कल को भुला दो
ज़िन्दगी को सिला तुम एक नया दो आने वाले अजनबी कल की फ़िक्र में
अपने खूबसूरत आज को मत गवां दो