EP03 : Moving On.…Ek Naya Savera lana hoga राकेश की कलम से

दोस्तों, विधाता का लिखा तो विधाता ही समझता है, जो होना है वो हो के रहता है। जो गुजर जाता है आलम वो फिर लौट के नहीं आता है I माज़ी को भुला कर जिंदगी को हर पल जीना ही जिंदादिली है I उम्र और वक़्त की रफ़्तार नहीं थमती I धीरे धीरे वक़्त हाथों से निकल जाता है और हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते I खुदा से यही दुआ है कि…कल जो गुजरा वो फिर कल ना गुजरे आने वाला वो कल ऐसा हो न

 जो गुजर गया उस कल को भुला दो

ज़िन्दगी को सिला तुम एक नया दो आने वाले अजनबी कल की फ़िक्र में

अपने खूबसूरत आज को मत गवां दो