EP06 : Moving On.…Ek Naya Savera lana hoga राकेश की कलम से - निश्चय

निश्चय – मंज़िलों का जुनून था राहों को मेरी मील का पत्थर मैंने कभी देखा ही नहीं मैं दरिया की तरह बहता ही गया रूकना मेरे कदमों ने कभी सीखा ही नही एक बार जो मन में ठान लिया फिर मुड़ कर पीछे मैंने क़भी देखा ही नहीं आसान नही होता काँटों पर चलना चुनौती को कभी मुश्किल मैंने समझा ही नही मैं कई बार गिरा मगर हर बार उठा गिरकर टूटना मैंने कभी सिखा ही नहीं मंज़िलों की तलाश थी हौसलों को मेरे मुड़कर पीछे मैंने कभी देखा ही नहीं जब साथ न था कोई साथी मन मेरा था एकाकी आत्म विश्वास को अपने मैंने कभी छोड़ा ही नहीं कशिश जीत की थी और हिम्मत आसमाँ से ऊँची हार का ख़ौफ़ मेरी नज़रों ने कभी देखा ही नहीं.